गोर्की के विचार
``संसार के अन्य सभी देशों की तुलना में भारत के लोगों ने ही सबसे पहले आदर्श की खोज शुरू की थी और उसकी सैद्धांतिक खोज में वे ही सबसे आगे गये।'' ``मानव जाति का इतिहास यूनान और रोम से नहीं, भारत और चीन से आरंभ करना चाहिए।'' ``तीस करोड़ भारतीयों को अंग्रेज लार्ड और व्यापारी फूटी आँखों नहीं सुहाते और वे अधिकाधिक यह समझते जा रहें हैं कि इंग्लैड के दास होने की भूमिका भगवान ने उनके लिए निर्धारित नहीं की है।'' ``भारत में राष्ट्रीय क्रान्ति ने अपने को काफी ठोस रूप में प्रकट किया है और बहुत पहले, अतीत में भी सिपाहियों के विद्रोह को भी इस तरह स्पष्ट करना बहुत कठिन है कि भारतीय निरंकुश शासन के अभ्यस्त है।'' ``भारत में इस बात का विश्वास दिलाने वाली आवाज अधिकाधिक जोर पकड़ती जा रही है कि अब वह समय आ गया है, जब भारतीयों के लिए सामाजिक और राजनैतिक निर्माण-कार्य अपने भारत में अंग्रेजी राज के दिन पूरे हो चुके है।''
-प्रस्तुति- -डॉ॰ कमलकिशोर गोयनका
(सारिका, नवम्बर 1986, से साभार)
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